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सेवा क्षेत्र | Service Sector

सेवा क्षेत्र (Service Sector )

"सेवा क्षेत्र का होना प्राथमिक क्षेत्र एवं द्वितीयक क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए अति आवश्यक है।"
जो क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रक्रिया में सहायक होती है वे सभी क्रियाएँ सेवा क्षेत्र में शामिल की जाती हैं। सेवा क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आधे से भी अधिक योगदान दे रहा है।

सेवा क्षेत्र | Service Sector

सेवाओं का अर्थ (Meaning of Services) :- 

इसका अभिप्राय उस क्षेत्र से जो अदृश्य उत्पाद उपलब्ध करवाता है। (It refers to that service which provides intengible products.) अन्य शब्दों में सेवाओं में वे आर्थिक क्रियाएँ शामिल की जाती है जिनके अंतिम उत्पाद भौतिक प्रकृति के नहीं होते हैं। अधिकतर सेवा का उपभोग (उपयोग) इसके सृजन के समय ही हो जाता है। प्रायः सेवा की उपयोगिता आराम, सुलभता, उपचार, मनोरंजन, समय की बचत तथा उपचार इत्यादि के  रूप में होती है। 
इनमें  निम्नलिखित गुण होते हैं :-
1. ये भौतिक प्रकार की नही होती हैं अर्थात इन्हें हम देख या छू नही सकते हैं। ये अमूर्त्त प्रकति (Intangible) की होती है।
2. सेवाओं का संग्रहण (storage) नहीं किया जा सकता । सेवाओं के उत्पादन तथा उपभोग में समय का अंतराल भी नहीं होता है।
3. सेवाएं उपभोक्ताओं को उपयोगिता प्रदान करती हैं। यह उपयोगिता मनोरंजन, सुलभता(convienience), आराम, समय की बचत , स्वास्थ्य में सुधार तथा ज्ञान में वृद्धि इत्यादि के रूप में हो सकती है।

सेवाओं की विशेषताएँ/प्रकृति (Features /Nature of services) :- 

सेवाओं की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं - 
1. अमूर्तता (Intangibility):- सेवाओं का अपना भौतिक अस्तित्व नहीं होता है अर्थात हम इन्हें देख या छू नहीं सकते हैं और न ही इन्हें सुंघा जा सकता है, इन्हें हम केवल महसूस कर सकते है। परन्तु इनके उपभोग से हमें संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
2. भिन्नता (Heterogeneity):- सेवाओं में भिन्नता का गुण पाया जाता है अर्थात सेवाओं में एकरूपता का अभाव होता है। जैसे उदाहरण के लिए बैंक के कर्मचारी का व्यवहार एक ग्राहक के प्रति तो मैत्रीपूर्ण हो सकता है परंतु अन्य ग्राहकों के प्रति उसका व्यवहार कटुतापूर्ण भी हो सकता है। इस प्रकार किसी भी सेवा संगठन द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में भिन्नता पायी जाती है।
3. संग्रहण का अभाव (Non-Stocking):- सेवाओं में संग्रहण का अभाव पाया जाता है अर्थात हम सेवाओं का संग्रहण नही कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी ट्रांसपोर्ट कंपनी का ट्रक किसी दिन काम न मिलने के कारण खाली रहता है तो यह दिन व्यर्थ ही चला जाएगा। इस व्यर्थ गए दिन का संचय नहीं किया जा सकता है।
4. अहस्तांतरणीय (Non-transferable):- व्यवसायिक सेवाएं अहस्तांतरणीय होतीं है अर्थात इनमे स्वामित्व का हस्तांतरण संभव नही होता है। जैसे - कोई भौतिक उत्पाद खरीदने पर क्रेता को उत्पाद का स्वामित्व हस्तांतरित हो जाता है परंतु सेवाओं की स्थिति में इस नहीं होता है। जैसे जब हम कोई सेवा प्राप्त करते है, उदाहरण के लिए जिसे डॉक्टर से इलाज करवाते है तो इस सेवा का स्वामित्व डॉक्टर से रोगी से हस्तांतरित नहीं होता है।
5. उपभोक्ता की भागीदारी (Customer Participation):- सेवाएं प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता की भागीदारी अति आवश्यक है। जैसे परिवहन कम्पनी की बस में भ्रमण पर जाने के लिए यात्रियों की भगीदारी बहुत जरूरी है। यात्री की भागीदारी के बिना ट्रांसपोर्ट कंपनी यात्री को परिवहन सेवा प्रदान नहीं कर सकती।
6. एक साथ निष्पादन (Simultaneity):- सेवा की दशा में उत्पादन तथा उपभोग एक ही साथ होता है। जैसे - जब एक डॉक्टर किसी रोगी का ऑपरेशन करता है, तो जिस समय डॉक्टर सेवा प्रदान करता है, ठीक उसी समय रोगी सेवा ग्रहण भी करता है।

सेवा क्षेत्र की आवश्यकता (Need of Service Sector):- 

 सेवा क्षेत्र की आवश्यकता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं - 
1. उत्पाद जटिलताएं (Product Complexities):- घरों में प्रयोग होने वाले बहुत से उत्पाद जटिल प्रकृति के होते हैं। जैसे - वाटर प्यूरीफायर(water purifier), कम्प्यूटर, माइक्रोवेव ओवन, वाशिंग मशीन एवम डिश क्लीनर इत्यादि। इन उत्पादों के रख-रखाव तथा मुरम्मत के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ती है। इनसे इन सेवा प्रदान करने वाले विशेषज्ञों की आवश्यकता  बढ़ गयी है।
2. आराम के समय में वृद्धि (Increase in Leisure Time):- कुछ लोगों के आराम समय में वृद्धि होने से आराम सम्बन्धी सेवाओं जैसे- ट्रेवल एजेंसियों, टूर ऑपरेटरों, रेस्टोरेंट और होटलों आदि की मांग में वृद्धि हुई है।
3. आय स्तर में वृद्धि (Increase in Income level):- कुछ लोगों के आय स्तर में भी
काफी वृद्धि हुई हैं, इसलिए इस समूह के लोग सेवाओं की अधिक मांग करने लगे है।
4. कार्यकारी महिलाओं की संख्या में वृद्धि ( Increase in Number of Working women):- अब अधिक महिलाएं कार्यकारी हो गयी हैं। अब उन्होंने घर से बाहर नोकरी करना व व्यवसाय करना शुरू कर दिया है। इससे इससे क्रेच, घरेलू नोकरों और गृह रख रखाव (House-keeping),  आदि सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है।
5. सूचना तथा तकनीकी सेवाओं कक विकास (Growth in Information and Technology Services):- सूचना तथा तकनीकी सेवाओं के विकास से विभिन्न सेवाओं का बहुत विकास हुआ है। जैसे- कॉल सेंटर , इंटरनेट कैफे, ATM बूथ तथा सॉफ्टवेयर विकास आदि।
6. जटिलताओं में वृद्धि (Increase in Complexities):- आज जीवन पहले की तुलना में आधिक कठिन हो गया है। अतः अब लोगों को वकीलों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कर सलाहकारों, आर्किटेक्ट, प्रोपर्टी सलाहकारों आदि की सेवाओं की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
7. गतिशीलता में वृद्धि (Increase in Mobility):- अब लोग पहले से अधिक गतिशील हो गए हैं इससे यातायात तथा संचार सेवाओं की मांग बढ़ गयी है।
8. स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता (Health Awareness) :- अब लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में पहले से आधिक जागरूक हो गए हैं इससे नर्सों, डॉक्टरों, नर्सिंग होम, अस्पतालों, स्वास्थ्य क्लब, योग सेंटर, जिम्नेजियम तथा वजन घटाने के सेंटर्स आदि का विकास हुआ है।

सेवा क्षेत्र का महत्व अथवा भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की भूमिका
( Importance of service sector or role of service sector in Indian Economy)

भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का विकास बहुत ही तीव्र गति से हो रहा है। आज सेवा क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान अन्य क्षेत्रों से अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का महत्व निम्न चर्चा से स्पष्ट होता है -
1. रोज़गार सृजन (Creates Employment Avenues):- बहुत से लोग सेवा क्षेत्र से रोज़गार प्राप्त करते है। संगठित क्षेत्र में कार्यरत अधिकतर लोग सेवा में ही लगे हुए हैं। जैसे- वायु परिवहन, सॉफ्टवेयर, पर्यटन, मनोरंजन, फुटकर, शेयर-दलाल तथा BPO(Business Process Outsourcing) इत्यादि।
2. प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों को सहायता (Aid to Primary and Secondary Sectors):- सेवा क्षेत्र प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्रों की सहायता करता है। इन क्षेत्रों को अनेक प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है, जैसे- स्टोरेज, परिवहन, सुविधा, बीमा तथा व्यापार, बैंकिंग इत्यादि। ये सभी सुविधाएं सेवा क्षेत्रों द्वारा प्रदान की जाती है।
3. आराम व सुविधा में वृद्धि ( Adds to Comforts and Leisure):-  बहुत सी सेवाएं; जैसे - होटल, पर्यटन, टूर, मनोरंजन सेवाएं लोगों को आराम व सुविधा प्रदान करती हैं। अब लोग पहले की अपेक्षा अधिक फिल्में देखना, रेस्तरां में खाना खाने, पर्यटन स्थानों पर घूमने अधिक जाते हैं।
4. आधारभूत सेवाओं की उपलब्धता (Provision for Basic Services):- कुछ आधारभूत सेवाएं अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जैसे- अस्पताल, शिक्षण, डाकखाना, पुलिस स्टेशन, कोर्ट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, दूरसंचार, बैंक व बीमा कंपनियां आदि। भारत में बहुत सी आधारभूत सुविधाएं सरकार द्वरा उपलब्ध करवाई जाती हैं। अब निजी क्षेत्र भी कुछ सेवाएं प्रदान करता है।
5. राष्ट्रीय आय में योगदान ( Contribution to National Income):- पिछले कुछ वर्षों में सेवा क्षेत्र का राष्ट्रीय आय में योगदान अत्यधिक बढ़ा है। वर्तमान में, यह राष्ट्रीय आय का 52.6% है। सेवा क्षेत्र की विकास दर अन्य क्षेत्रों की विकास दर से अधिक है। भविष्य में भी सेवा क्षेत्र में बहुत विकास की संभावना है।
6. निर्यातों में वृद्धि ( Increase in Exports):- सेवाओं के निर्यात में बहुत वृद्धि हुई है। विश्व व्यापार संगठन के अनुमान के अनुसार , वर्ष 2013 में भारत का विश्व मे सेवाओं के निर्यात में छठा स्थान था।
7. भारत की छवि में सुधार ( Improvement in India's Image):- भारत में कुछ सेवाओं,  जैसे:- सॉफ्टवेयर विकास , व्यपार सम्बन्धी क्रियाओं को बाहरी स्त्रोतों से करवाना(BPO), सूचना तकनीकी पर आधारित सेवाओं आदि के विकास से भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में छवि में बहुत सुधार हुआ है। अब विश्व की आधे से भी अधिक सूचना तकनीकी सेवाएं भारत द्वारा प्रदान की जाती हैं। इससे विश्व में भारत की बहुत अच्छी पहचान बनी है।

भारत में सेवा क्षेत्र का विकास (Growth of service Sector in India)

भारत में पिछले कुछ वर्षों में सेवा क्षेत्र का बहुत ही विकास हुआ है । सेवा क्षेत्र के उत्पादन का मूल्य कृषि व उद्योगों के उत्पादन मूल्य से अधिक है। सेवा क्षेत्र का विकास निम्न तथ्यो से स्पष्ट है :-
1. सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ता हिस्सा (Increasing Share in GDP):- भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 1950-51 में सेवा क्षेत्र का GDP में 29% योगदान था। वर्ष 2014-15 में यह बढ़कर GDP का 52.6% हो गया है।
2. रोज़गार में बढ़ता हिस्सा (Increasing Share in Employment):- रोजगार सृजन में सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1970 - 71 में सेवा क्षेत्र का रोजगार सृजन में 16 प्रतिशत योगदान था। वर्ष 2011-12 में यह बढ़कर 26.8 प्रतिशत हो गया । यद्यपि यह वृद्धि अत्यधिक नहीं है तथापि यह पाया गया है कि संगठित क्षेत्र में अब जो रोजगार सृजन हो रहा है, वह सेवा क्षेत्र में ही मुख्यतः हो रहा है।
3. निर्यातों में बढ़ता हिस्सा ( Increasing Share in Exports):- सेवा क्षेत्र का निर्यातों में योगदान बढ़ रहा है। वर्ष 2013 में भारत सेवा क्षेत्र में विश्व मे छठा बड़ा निर्यातक देश था । भारत सॉफ्टवेयर व सूचना तकनीकी सम्बन्धी सेवाओं को विश्व के विभिन्न देशों में निर्यात कर रहा है।
4. नई प्रकार की सेवाओं का विकास (Growth of New Types of Services):- सेवा क्षेत्र में नई प्रकार की सेवाओं का विकास हो रहा है। अर्थात सेवा क्षेत्र का विकास हो रहा है।
5. सेवा प्रदान करने वालों की संख्या में वृद्धि (Increase in Number of Service Providers):- कुछ क्षेत्रों में सेवा प्रदान कराने वाली घरेलू इकाइयों के साथ - साथ सेवा उपलब्ध कराने वाली विदेशी इकाइयों ने भी भारत में सेवाएं उपलब्ध करवानी शुरू कर दी है। इससे प्रतिस्पर्धा के स्तर में वृद्धि हुई है।

भारत विश्व मे सेवाएं उपलब्ध करवाने वाला एक मुख्य देश (India as a Major Service Provider to the world)

भारत मे सूचना तकनीकी सेवाओं का बहुत विकास हुआ है। भारत मे कुशल एवम निपुण इंजीनियरों की उपलब्धता भारत को सॉफ्टवेयर उद्योग में अधिक तुलनात्मक लाभ प्राप्त होने लगें है। निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है कि भारत विश्व भर सेवाएं उपलब्ध कराने वाला एक मुख्य राष्ट्र है -
1. भारत विश्व भर में सूचना तकनीकी सेवाओं के वैश्विक बाजार का कुल 65% हिस्सा उपलब्ध करवा रहा है।
2. भारत विश्व की व्यवसाय प्रक्रिया आउटसोर्सिंग (BPO) सेवाओं के आधे से भी अधिक हिस्से को उपलब्ध करवा रहा है।
3. भारत के सलाहकार, पेशेवर विशेषज्ञ कुछ क्षेत्रों जैसे सूचना तकनीक, वित्तीय व बैंकिंग सेवाओं आदि द्वारा विश्व के विभिन्न देशों को पेशेवर सलाह उपलब्ध करवा रहे है।
4. भारत का सेवाओं के निर्यात में विश्व मे छठा स्थान है।
5. हाल के वर्षों में, विश्व के विभिन्न देश आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए भारत को अन्य देशों की तुलना में प्राथमिकता दे रहे हैं।

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