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ह्रास लेखांकन | डेप्रिसिएशन एकाउंटिंग | Depreciation Accounting

ह्रास लेखांकन | डेप्रिसिएशन एकाउंटिंग | Depreciation Accounting

Meaning :-

प्रत्येक व्यवसाय अथवा फर्मों में प्रयोग होने वाली स्थायी सम्पतियों (जैसे :- भूमि, भवन, मशीनरी, फर्नीचर, कार्यालय, साज सज्जा, वाहन, इत्यादि) के लगातार प्रयोग करते रहने से उनके (स्थायी सम्पतियों)  मूल्यों में धीरे-धीरे जो कमी आती है, उसे ह्रास कहते हैं।


      ये सम्पतियाँ अनेक वर्षों तक व्यवसाय को लाभ कमाने में सहायता करती हैं अतः इन सम्पतियों पर लगाई गई लागत एक प्रकार के पूर्वदत्त व्यव के समान है जिसे उस सम्पति के उपयोगी जीवन काल के वर्षों में विभाजित करना आवश्यक हो जाता है, तभी प्रत्येक वर्ष के शुद्ध लाभ का ठीक- ठीक निर्धारण हो पायेगा । अतः निरन्तर लागत के व्यय में परिवर्तन को ही हम ह्रास कहते हैं ।

परिभाषा : -  

  आर. एन. कार्टर के अनुसार, "सम्पति के मूल्य में किसी भी कारण से हीन वाली शनै: शनैः एवं स्थायी कमी को  ह्रास कहते हैं।" 

Depreciation is tha gradual and permanent decrease in tha value of an asset from any cases. - R.N.Carter.

ह्रास एक धीर-धीरे और निरन्तर होने वाली प्रक्रिया है, इसका व्यवसाय के संचालन के परिणाम तथा वितीय स्थिति प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है । स्थायी सम्पतियों के मूल्यों में जिस सीमा तक कमी आती है , वह राशि प्रत्येक हिसाबी वर्ष में व्यय व हानि के रूप में वसूल की जाती है, ताकि उत्पादन लागत ठीक-ठीक निर्धारित की जा सके।

ह्रास के कारण:- 

ह्रास के अनेक कारण होते हैं उनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं-
1. निरन्तर प्रयोग(By Constant Use):- सम्पति के लगातार प्रयोग करने से अक्सर इनमें टूट - फुट होती है; जिससे इनके मूल्यों में कमी होती रहती है । इसे इनके मूल्य में ह्रास होता है,जैसे - मशीनें, प्लांट, फर्नीचर इत्यादि।

2. समय बीतने पर (By Expiry of Date):- कुछ सम्पतियों का जीवन काल पहले से ही निश्चित होता है चाहे इनका उपयोग किया जाए या न किया जाए जैसे:- पट्टे पर ली गई भूमि (lease) इत्यादि। उदाहरण के लिए  यदि एक व्यापारी ने 25 वर्ष के लिये ₹100000 में कोई सम्पति पट्टे पर ली, तो एक वर्ष व्यतीत होने पर इस संपत्ति का मूल्य 1/25 भाग अर्थात ₹4000 काम हो जाएगा । 25 वर्ष होने पर इसका मूल्य कुछ भी नही रह जायेगा ।

3. अप्रचलन से मूल्य ह्रास (By Obsolescence):- हम हमेशा पुरानी तकनीकों के प्रयोग पर ही निर्भर नहीं  रहते हैं। आजकल हमारे देश में नई- नई तकनीकों प्रयोग ही नहीं अपितु अत्यधिक प्रचलन भी हो रहा है। नए आविष्कारों के कारण नईं संपतियां खरीदने पर पुरानी सम्पति बेकार ही जाती हैं। इस प्रकार नए प्रचलन के कारण भी ह्रास लगता है।

4. रिक्तता के कारण मूल्य ह्रास ( By Depletion):- कुछ संपतियां जैसे -खानें, तेल के कुएं आदि ऐसी संपतियां हैं जिनका भंडार सीमित होता है और उनमें से लगातार पदार्थ निकालते रहने से यह रिक्त होता रहता है । इस प्रकार इनका मूल्य काम होता चला जाता है।

5. दुर्घटनाओं के कारण (By Accident):-  मशीनों एवं फर्नीचर आदि के टूट जाने या दुर्घटना ग्रस्त हो जाने पर भी इनके मूल्यों में कमी होती रहती है अतः इनका मूल्य ह्रास होता रहता है।

6. बाजार मूल्य में स्थायी कमी (By Permanent Fall in price):- प्रायः स्थायी सम्पतियों के मूल्यों में उतार - चढ़ाव होते रहते हैं जिन पर प्रायः ध्यान नहीं दिया जाता क्योंकि ये पुनः बिक्री के लिए नहीं होती हैं । परन्तु कुछ संपतियां ऐसी होती है जिनके मूल्य में यदि स्थायी कमी हो जाती है तो इसे ह्रास मान लिया जाता है , जैसे - विनियोग आदि।

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